भगवान जगन्नाथ कि रथ यात्रा कैसे होती है।

भारत का हर राज्य अपने अनूठे त्योहारों और धार्मिक आयोजनों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन ओडिशा में मनाया जाने वाला भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व और भव्यता अद्वितीय है। यह त्योहार पूरे देश में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है और विश्वभर के लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।

Jagannath
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भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। इसे पुरुषोत्तम क्षेत्र या जगन्नाथ पुरी के रूप में जाना जाता है। यह रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को रथों में बिठाकर नगर के विभिन्न मार्गों से गुजारी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह यात्रा भगवान के अपने भक्तों के बीच जाने और उनकी समस्याओं को सुनने के लिए होती है।

रथ यात्रा की तैयारी

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारी महीनों पहले से शुरू हो जाती है। इस यात्रा के लिए तीन विशाल रथों का निर्माण किया जाता है। ये रथ बड़े ही भव्य और आकर्षक होते हैं, और इन्हें बनाने के लिए विशेष प्रकार की लकड़ी और सामग्री का उपयोग किया जाता है। रथों को बनाने का कार्य सर्वजनिन नौरत्न मंदिर में किया जाता है, और यह कार्य पारंपरिक विधियों और नियमों के अनुसार होता है।

रथ यात्रा का महत्व

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। यह त्योहार भगवान जगन्नाथ की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। इसके अलावा, यह यात्रा समाजिक समरसता और एकता का संदेश भी देती है। इस यात्रा में लाखों भक्त भाग लेते हैं और एक साथ भगवान की पूजा और दर्शन करते हैं, जिससे एकता और भाईचारे का माहौल बनता है।

रथ यात्रा का आयोजन

रथ यात्रा का आयोजन हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को होता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को मंदिर से बाहर लाकर रथों पर बिठाया जाता है। यह यात्रा गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जो लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यात्रा के दौरान भक्त रथों को खींचते हैं और “जय जगन्नाथ” के नारों के साथ भगवान की महिमा का गुणगान करते हैं।

रथ यात्रा के दौरान विशेष अनुष्ठान

रथ यात्रा के दौरान कई विशेष अनुष्ठान और पूजाएं की जाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख अनुष्ठान इस प्रकार हैं:

  • चेरा पाहरा: यह अनुष्ठान पुरी के राजा द्वारा किया जाता है, जिसमें वे भगवान के रथों को स्वच्छ करते हैं।
  • पांडु विजय: इसमें भगवान की मूर्तियों को मंदिर से बाहर लाकर रथों पर बिठाया जाता है।
  • रथ खींचना: भक्तगण भगवान के रथों को खींचते हैं और इसे एक पुण्य का कार्य माना जाता है।

रथ यात्रा के समय होने वाले उत्सव

रथ यात्रा के समय पुरी में कई उत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसमें लोक संगीत, नृत्य और नाट्य का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के भोग और प्रसाद भक्तों के बीच वितरित किए जाते हैं।

रथ यात्रा के अद्वितीय पहलू

  1. भगवान का सार्वजनिक दर्शन: यह एकमात्र अवसर होता है जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को मंदिर के बाहर सार्वजनिक रूप से दर्शन किया जा सकता है।
  2. विविधता में एकता: इस यात्रा में विभिन्न समुदायों और धर्मों के लोग भाग लेते हैं, जिससे धार्मिक सहिष्णुता और भाईचारे का संदेश मिलता है।
  3. अनोखी परंपराएं: इस यात्रा के दौरान कई अनोखी परंपराएं और रीतियां निभाई जाती हैं, जो इसे और भी विशेष बनाती हैं।

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है जो भक्तों के बीच श्रद्धा और भक्ति का भाव जगाता है। यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस यात्रा के माध्यम से हम भगवान की महिमा का अनुभव कर सकते हैं और उनके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

पुरी रथ यात्रा उत्सव 2020 और 2030 के बीच है
YearDate
2020Tuesday, 23rd of June
2021Monday, 12th of July
2022Friday, 1st of July
2023Tuesday, 20th of June
2024Sunday, 7th of July
2025Friday, 27th of June
2026Thursday, 16th of July
2027Monday, 5th of July
2028Saturday, 24th of June
2029Friday, 13th of July
2030Tuesday, 2nd of July

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